Friday, 20 October 2017

छत्तीसगढ़ की मिट्टी


छत्तीसगढ़ में मुख्यतः 5 प्रकार की मिट्टी पाई जाती हैजिनका विवरण निम्न है

क्रमांक
मिट्टी (स्थानीय नाम)
विस्तार
प्रमुख फसल
टिपण्णी
1
लाला पीली मिट्टी (मटासी)
प्रदेश में लगभग 50-60 % भाग में विस्तार है
कोरिया , सरगुजा, जशपुर, रायगढ़, जांजगीर, कोरबा ,कवर्धा , दुर्ग, बिलासपुर, रायपुर, धमतरी, और माह्समुन्द
धान , कोदो-कुटकी, अलसी, तिल, ज्वार और मक्का
  • यह मिटटी गोडवाना क्रम के अवशेष से निर्मित मिट्टी है
  • यह मिट्टी कम उपजाऊ होती है
  • जल धारण क्षमता कम होती है

2
लाल रेतीली  मिट्टी 
प्रदेश में इसका विस्तार 20 % लगभग है.
बस्तर दंतेवाडा, कांकेर, राजनंदगांव, रायपुर, दुर्ग और धमतरी
मोटे अन्नाज आलू, तिलहन, और कोदो-कुटकी
  • इसमे लोहे के अंश अधिक ओने के कारण यह लाल रंग का होता है
  • यह मिट्टी ग्रेनाईट और निस शैल के अवक्षरण से बनती है
  • पोटाश और ह्यूमस की मात्रा की कमी तथा बालू कंकड़ आदि की अधिकता के कारण यह मिटटी कम उपजाऊ है
  • इसका भी जल धारण क्षमता कम होती है

3
लेटराइट मिट्टी (भांटा)
सरगुजा , बलरामपुर, जशपुर, दुर्ग बेमेतरा , बलोदाबाज़र, राजनंदगांव, कवर्धा और बस्तर
आलू और मोटे अन्नाज
  • इसमे रेतीली, कंकड़ पत्थर इत्यादि होते है.
  • पोषक तत्वों की कमी तथा ये अनुपजाऊ मिटटी है .
  • कोठोरता एवं कम आद्रर्ता ग्राही  के कारण भवन निर्माण के लिए सर्वोत्तम है

4
काली मिट्टी (कन्हार मिटटी)
बालोद , बेमेतरा, मुंगेली, राजिम, महासमुंद, कुरूद, धमतरी, और कवर्धा
धान की फसल के लिए सवोत्तम तथा इसमे कपास, चना, गेहूं, गन्ना, मूंगफल्ली और सब्जी
  • बेसाल्ट शैलों के अपरदन से कलि मिट्टी का निर्माण होता है.
  • फेरिक टाईटेनियम एवं मृतिक्का के सम्मिश्रण से रंग काला हो जाता है.
  • अधिक जलधारण क्षमता के कारण कृषि के लिए सर्वोत्तम मिटटी है.

5
लाल दोमट मिट्टी
प्रदेश में लगभग 10 - 15 % भाग में इस मिटटी का विस्तार है .

मोटे अन्नाज ,तिलहन और दलहन की खेती
  • लौह तत्व की अधिकता के कारण रंग लाल होता है
  • ग्रेनाईट और आर्कियांस शैलों के अवक्षरण से बनती है .
  • कम जलधारण के कारण जल के आभाव में कठोर हो जाती है .
  • इस मिटटी में जल की अधिकता होने पे कृषि की जा सकती है

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