जनजाति
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व्यवसाय
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संकेन्द्रण
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भाषा
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त्यवहार / पर्व
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पहनावा /रूपरंग
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देवता
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सामाजिक प्रचलन
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टिप्पणी
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1
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गोंड
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कृषि , स्थानांतरित कृषि
,कुछ गोंड जंगल से फल-फूल कन्दमूल जड़ी-बूटी एकत्र
करना , कुछ लोग टोकरी रस्सी अदि बनाकर
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बस्तर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोंडागॉव, कांकेर सुकमा, जांजगीर-चंपा, दुर्ग
(रायगढ़ बिलासपुर सरगुजा ) |
त्वचा काली होठ मोठे आंखे काली बाल काले एवं खड़े
कम वस्त्र धारण करते है
पुरुष टांगों को ढकने के लिए छोटा कपडा कुछ लोग बांडी
पहनते है
महिलये चोली नहीं पहनती उनका छाती का भाग खुला रहता है
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दूल्हा देव
बड़ा देव
नागदेव नारायणदेव
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वधु धन
विधवा विवाह
बहु विवाह
दूध लौटवा विवाह भी देखने को मिलता है
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१. जनसंख्या के दृष्टि से सबसे बढ़ी जनजाति
२. गोंड शब्द की उत्पत्ति तमिल भाषा के कोंड या खोंद से
हुई है
कोंड शब्द कोंडा से निकला है जिसका अर्थ है पर्वत
३. राज्य में गोंड कुल 30 शाखाएँ पाई गयी
है
४.
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2
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कोरबा
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कंद-मूल व शिकार
दिहारिया कोरबा कृषि कार्य करते है इसलिए इन्हे किसान
कोरबा भी कहा जाता है
स्थानांतरित कृषि( कुछ जगहों पर )
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कोरबा बिलासपुर सरगुजा सूरजपुर रायगढ़ के पूर्वी भाग में
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करमा
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सूर्य चंडी देवी पितर पूजा सर्प पूजा
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अपने ही जाति में विवाह वधु धन विधवा विवाह तलाक
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१. रूढ़िवादी वएकांत प्रिय
२. अपनी पंचायत है जिसे मैयारी कहते हैं
३. यह जनजाति कोलेरियन जनजाति से सम्बंध रखते हैं
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3
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मारिया
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कृषि
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बिलासपुर बस्तर नारायणपुर कोण्डागावँ
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शारारिक रचना गोंड जनजाति की तरह
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भीमसेन
सर्प बाघा अदि की पूजा करते हैं
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१. मुख्यतः पहाड़ी भागों में निवास करते हैं
२.
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4
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हल्वा
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कृषि
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रायपुर बस्तर कोण्डागावँ कांकेर सुकमा दंतेवाड़ा दुर्ग
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मराठी प्रभाव
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कम कपड़े धारण करते हैं
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रीति रिवाज हिन्दुओं से मिलता है
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१. हलवाहक होने के कारन इनका नाम हल्वा पड़ा
२. कबीर पंथी होते हैं
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5
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कोरकू
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कृषि (भू स्वामी राजकोरकु कहलाते हैं)
मजदूर एवं वनोपज भी एकत्र करते हैं
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रायगढ़ सरगुजा बलरामपुर जशपुर
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दीपावली दशहरा होली आदि
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वधु धन तलाक विधवा विवाह
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6
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बैगा
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पुरोहित चिकित्सक स्थानांतरित खेती
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दुर्ग राजनाँदगाँव कवर्धा मुंगेली सरगुजा सूरजपुर
बिलासपुर
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१. बैगा का शाब्दिक अर्थ पुरोहित होता है
२. ये नागा बैगा को अपना पूर्वज मानते हैं
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7
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बिंझवार
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कृषक
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बिलासपुर बलौदा बाजार रायपुर
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छत्तीसगढ़ी
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विध्याचल वासनि देवी
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१. विंध्यवासिनी पुत्र बारहा भाई बेटकर को अपना पूर्वज
मानते हैं
२. वीर नारायण सिंह इसी समुदाय के थे
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8
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कमार
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कृषि मजदुर शिकार एवं वनोपज लकड़ी व बांस की चीजें बनाना
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रायपुर गरियाबंद बिलासपुर दुर्ग रायगढ़ राजनांदगावं
जांजगीर-चांपा जशपुर कोरिया सरगुजा
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कम वस्त्र धारण करते हैं महिलाएं केवल धोती पहनती हैं
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दूल्हा देव
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१. अपने को गोंड का वंशज मानते हैं
२. जादू टोनहा पर विस्वाश
३.औजारों की पूजा
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9
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कंवर
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कृषक एवं कृषक मजदूर
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बिलासपुर रायपुर रायगढ़ जांजगीर-चांपा सरगुजा
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सगराखंड
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संगोत्री विवाह व विद्यावा विवाह वर्जित है
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१. इनकी उत्पत्ति महाभारत के कौरवो से बताते हैं
२.विकसित एवं अधिक सिक्छित
३.आपसी झगड़ो का निपटरा पंचायत द्वारा होता हैं
४.स्वछता प्रिय
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10
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खैरवार
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कत्था का व्यापार
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सरगुजा सूरजपुर बलरामपुर बिलासपुर
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छत्तीसगढ़ी
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१.इन्हे कथतार भी कहा जाता है
२.साछारता बहुत कम है
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11
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खड़िया
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खड़खड़िया (पालकी ) ढोने का काम
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रायगढ़ जशपुर
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खड़िया (मात्र भाषा )
सदरी का भी प्रयोग
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पूस-पुन्नी, करमा
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१.साछारता बहुत कम है
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12
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भैना
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बिलासपुर जांजगीर-चांपा रायगढ़ रायपुर बस्तर
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छत्तीसगढ़ी
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१.आदिम जनजाति
२.उत्पत्ति मिश्र संबंधों के कारण हुआ प्रतीत होता है
३.किवदंती के अनुसार ये बैगा और कंवर की वर्ण संकर संतान
हैं
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13
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भतरा
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ग्राम चौकीदार घरेलु नौकर स्थायी कृषि
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बस्तर दंतेवाड़ा कांकेर रायपुर
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भतरी (उड़िया की एक बोली )
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शिकार देव
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१.आदिम जनजाति
२.भातरा का शाब्दिक अर्थ सेवक है
३.पिट भतरा उच्च श्रेणीएवं सन भतरा निम्न श्रेणीके होते
हैं
४.ये दूसरे श्रेणीमें भोजन तक ग्रहण नहीं करते जब तक इनमे
विवाह नहीं हो जाता
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14
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बिरहोड़
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रायगढ़ जशपुर
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छत्तीसगढ़ी
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१.बिरहोड़ का अर्थ है वनचर या वन्य जाति
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15
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भुंजिया
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रायपुर
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भुंजिया (हल्बी के बहुत निकट )
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16
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अगारिया
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लोह अयस्क पिघलना लोहार
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बिलासपुर
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छत्तीसगढ़ी
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१.नाम अग्नि से वियुतपन हुआ है
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17
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आसुर
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रायगढ़ जशपुर
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असुरी
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१.अविकसित जनजाति
२.शरकारी योजनाओ से अधिक लाभान्वित नहीं हुए
३.अधिकांश गावं पहाड़ो पर बसें हैं
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18
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बिरजिया
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सरगुजा
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बरजिया सदरी
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सरहुल करमा फगुआ रामनवमी
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१.बिरजिया का अर्थ है जंगल की मछली
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19
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धनवार
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धनुष बाण का प्रयोग शिकार
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बिलासपुर रायगढ़ सरगुजा
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छत्तीसगढ़ी
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धनुष बाण की पूजा होती है
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विवाह के समय वर धनुष लेकर आता है
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१.धनवार की व्युत्पत्ति धनुष से हुई है जिसका अर्थ
धनुषधारी होता है
२.यह गोंड या कवंर की ही शाखा मानी जाती है
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20
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धुरवा
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सुकमा बस्तर
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परजी हल्बी
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१.पहले ये अपने आप को परजा कहते थे
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21
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गदबा
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बस्तर
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पहले गदबा पर आजकल हल्बी
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कोल
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सरगुजा सूरजपुर बलरामपुर
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हिंदी
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१.मूल रूप से मुंडारी प्रजाति से सम्बन्ध रखते हैं
२.मुंडारी में कोल का अर्थ पुरुष होता है
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कंध
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रायगढ़
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१.कंध शब्द द्रविण भाषा के
कोण्ड शब्द से हुआ है जिसका अर्थ पहाड़ी है
२.इन्हे खोण्ड या कोण्ड भी कहा जाता है
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24
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कोया
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बस्तर
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हल्बी
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१.अपने को दोरला या कोयातर भी कहते हैं
२.ये गोंड वर्ग के अन्तर्गत ही संसूचित हैं
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25
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मझवार
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बिलासपुर के कटघोरा तहसील में
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छत्तीगढ़ी
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१.इनकी उत्पत्ति गोंड मुंडा एवं कंवर संकरत्व से मानी
जाती है
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26
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मुण्डा
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बस्तर के जगदलपुर तहसील में
रायगढ़ एवं जशपुर
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भतरी हल्बी
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१.ये बस्तर राजवंश के पारम्परिक गायकरहे हैं
२.बस्तर के मुण्डा आर्यभाषी हैं
३.रायगढ़ एवं जशपुर के मुण्डा आस्ट्रिक परिवार से सम्बन्ध
रखते हैं
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27
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नेगसिया
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सरगुजा जशपुर रायगढ़
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मुण्डा भाषा परिवार की बोली के साथ छत्तीसगढ़ी
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राजमोहनी देवी साहनी गुरु गहिरा गुरु
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१.इनकी व्युत्पत्ति नाग (सर्प )से हुई है
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28
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पाण्डो
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सरगुजा बिलासपुर
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छत्तीसगढ़ी
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१.ये अपने को पांडव के वंश से जोड़ते हैं
२.शिक्षाका प्रचार प्रसार अभीतक नहीं हो पाया है
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29
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परजा
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बस्तर
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परजी
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१.यह धुरवा की एक शाखा है
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30
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सौरा
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मुण्डा भाषा परिवार के साथ छत्तीसगढ़ी
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१.संस्कृत साहित्य में वर्णित शाबर को अपना पूर्वज मानते
हैं
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31
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सौंता
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बिलासपुर के कटघोरा तहसील में
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छत्तीगढ़ी
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१.बूढ़ा सौता के पुत्र बालक लोढ़ा इनके पूर्वज हैं
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32
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पारधी
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बस्तर
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गोंडी हल्बी एवं अन्य आर्य भाषा
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१.ये अपने को नाहर भी कहते हैं
२.आखेटक होने के कारन यह नाम पड़ा
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33
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प्रधान
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गाथावाचक राजाओं के प्रसस्ति वाचक , संगीत
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रायपुर बलौदा बाजार बिलासपुर
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गोंडी
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१.प्रधान संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है मंत्री
२.ये गोंड राजाओं के मंत्री हुआ करते थे
३.इन्हे पटरिया भी कहा जाता है
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34
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ओरांव
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कृषि शिकार मछली पालन पशु पालन
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रायगढ़ जशपुर सरगुजा बिलासपुर
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धर्मेश (सर्प का रूप ) महादेव
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वधु धन तलाक बहु विवाह विधवा विवाह
विवाह के पूर्व यौन सम्बन्ध पर अप्पति नहीं
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१.ये स्वयं को कुरुख कहते हैं
२.धांगड़ ढंका किसान आदि नामो से भी जाने जाते हैं
३.अपने गोत्र को टोटम से सम्बंधित करते हैं
४.गोदना प्रिय होते हैं
५.अपनी सामाजिक व्यवस्था होती हैं
६.गावं के मुखिया को महतो एवं पुजारी को बैगा कहते हैं
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इनके अतरिक्त 8 अन्य जनजातियाँ हैं जो छत्तीसगढ़ में पायी जाती है, ये हैं भूमिया, सवरा, मांझी, सहरिया, कोलाम, मावासी, भील और अंध |
ये सभी अविभाजित मध्य प्रदेश की जनजाति है | इनमे सवरा मांझी एवं मावासी को छोड़कर शेष की उपस्थिति नगण्य है|
ये छत्तीसगढ़ के मूल
निवासी के श्रेणी में नहीं आते हैं |
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