- इस वंश को नल नाग वंश के नाम से भी जाना जाता है।
- राजधानी - पुष्करी ( वर्त्तमान : भोपालपट्टनम - बीजापुर जिला ), कोरापुट, बस्तर।
- शासन काल - 290 ई. से 960 ई. तक।
- इसी वंश के व्याघराज को समुद्रगुप्त ने हराया था।
- यह वंश वाकाटक का समकालीन था और इस वंश का वाकाटक से लम्बा शंघर्ष चला।
- इस वंश के कुल पांच अभिलेख प्राप्त हैं
- भवदत्त वर्मा का ऋद्धिपुर (अमरावती ) ताम्रपत्र
- भवदत्त वर्मा का पोड़ागढ़ (जैपुर राज्य ) शिलालेख
- अर्थपति का केशरिबेढ़ ताम्रपत्र
- अर्थपति का पांडियापाथर लेख (उड़ीसा )
- विलासतुंग का राजिम शिलालेख
- इस वंश के सिक्के एड़ेंगा एवं कुलिया के मुद्रा भाण्डो से प्राप्त हुए हैं।
- पूर्वी चालुक्य राजा कीर्तिवर्मन ने 567 -97 में नलों पर आक्रमण किया था।
शासक
- वराहराज ( शिशुक )
- नल वंश के संस्थापक
- एड़ेंगा के मुद्रा भाण्डो से वराहराज के 29 स्वर्ण मुद्रायें प्राप्त हुए हैं।
- भवदत्त वर्मन
- वाकाटक नरेश नरेंद्रसेन की राजधानी नन्दिवर्धन ( वर्तमान : नागपुर - महाराष्ट्र ) पर आक्रमण कर उसे पराजित किया
- अर्थपति
- नरेंद्रसेन के पुत्र पृथ्वीसेन द्वितीय ने भवदत्त वर्मन के पुत्र अर्थपति को पराजित कर अपने पिता के पराजय का बदला लिया
- इस युद्ध में अर्थपति की मृत्यु हो गयी
- स्कन्दवर्मन
- नलवंश की पुनर्स्थापना की
- शक्तिशाली शासक थे
- पृथ्वीराज
- राजिम शिलालेख से प्राप्त जानकारी के अनुशार विलासतुंग के पितामह
- विरुपाक्ष
- राजिम शिलालेख से प्राप्त जानकारी के अनुशार विलासतुंग के पिता
- विलासतुंग
- राजिम के राजीव लोचन मंदिर का निर्माण सन 712 ई. करवाया
- नन्दन राज
- स्तम्भ
- पृथ्वीव्याघ्र
- भीमसेन
- नरेन्द्र धवल
- अंतिम शासक
बहुत ही अच्छा लेख।
ReplyDeleteNice
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