कवर्धा का फणिनाग वंश
शासक
- नागवंशियो की एक शाखा फणिनाग वंश ने 10 वीं – 14 वीं सदी तक कवर्धा में शासन किया था,
- यह वंश कलचुरीवंश की प्रभुसत्ता स्वीकार करता था,
- चौरागांव के समीप स्थित भग्नावशेष मड़वा महल के शिलालेख एवं भोरमदेव मंदिर के अभिलेख से इस वंश का विवरण मिलता है,
- मड़वा महल शिलालेख में फणिनाग वंश की उत्पत्ति से लेकर राजा राम चन्द्र तक के राजाओं की वन्शावली दी गई है,
शासक
- अहिराज
- फणिनाग वंश के संस्थापक
- राजल्ल
- धरणीधर
- महिमदेव
- सर्ववंदन
- गोपालदेव
- भोरमदेव मंदिर के निर्माता (1089 ई.)
- नलदेव
- भुवनपाल
- कीर्तिपाल
- महिपाल
- विषयपाल
- जन्हु
- जनपाल
- यशोराज
- कन्हड़देव
- लक्ष्मी वर्मा
- खडग देव
- भुवने कमल्ल
- अर्जुन
- भीम
- भोज
- लछमन
- रामचन्द्र
- मड़वा महल /शिव मंदिर का निर्माता ( 1349 ई.)
- इनका विवाह कलचुरी वंश की राजकुमारी अम्बिकादेवी से हुआ था
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