Thursday 30 November 2017

कवर्धा का फणिनाग वंश (Nagavanshi Dynasty of Kawardha )

कवर्धा का फणिनाग वंश

  • नागवंशियो की एक शाखा फणिनाग वंश ने 10  वीं – 14  वीं सदी तक कवर्धा में शासन किया था,
  •  यह वंश कलचुरीवंश की प्रभुसत्ता स्वीकार करता था,
  • चौरागांव के समीप स्थित भग्नावशेष मड़वा महल के शिलालेख एवं भोरमदेव मंदिर के अभिलेख से इस वंश का विवरण मिलता है,
  •  मड़वा महल शिलालेख में फणिनाग वंश की उत्पत्ति से लेकर राजा राम चन्द्र तक के राजाओं की वन्शावली दी गई है,

शासक

  1. अहिराज 
    • फणिनाग वंश के संस्थापक
  2. राजल्ल 
  3. धरणीधर
  4. महिमदेव
  5. सर्ववंदन 
  6. गोपालदेव
    • भोरमदेव मंदिर के निर्माता (1089 ई.)
  7. नलदेव 
  8. भुवनपाल 
  9. कीर्तिपाल 
  10. महिपाल
  11. विषयपाल 
  12. जन्हु 
  13. जनपाल 
  14. यशोराज 
  15. कन्हड़देव 
  16. लक्ष्मी वर्मा 
  17. खडग देव 
  18. भुवने कमल्ल 
  19. अर्जुन 
  20. भीम 
  21. भोज
  22. लछमन 
  23. रामचन्द्र 
    • मड़वा महल /शिव मंदिर का निर्माता   ( 1349 ई.)
    • इनका विवाह कलचुरी वंश की राजकुमारी अम्बिकादेवी से हुआ था







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